समय - शिला पर उत्कीर्ण
सत्यम, शिवम् ,सुन्दरम की
शाश्वत कल्पना को साकार करता
चिरंतन मर्यादा का अनुपम पर्याय
एक सुन्दर नाम
' राम '
स्वयं परमेश्वर थे तुम , या उनके --
अनेक अवतारों में से एक --
दैवी गुणों से संपन्न महामानव ,
अथवा आजीवन संघर्षोंकी अग्नि में
तप कर कुंदन बने
एक साधारण मनुष्य ?
मात- पिता के सहज स्नेह भाजन
अनुज बन्धुओं के आदर्श मार्गदर्शक
ऋषिकुल के यज्ञ , तपश्चर्या को
निर्विघ्न संपन्न कराने का
दायित्व निभाते किशोर
राजकुमार राम !
सघन वन के भीतर जन- शून्य एकांत में
निर्दोष होकर भी , समाज से बहिष्कृत
संवेदनशून्य बैठी शिलावत नारी को
समुचित सम्मान देकर
पुनर्जीवित करते सरल , सहृदय
न्यायप्रिय राम !
पिता की आज्ञा सहज शिरोधार्य किये
सत्ता , वैभव, को तृणवत त्याग कर
निर्विकार मन, वन की दिशा में
पत्नी सहित गमन करते
वीतरागी सन्यासी से
युवराजा राम !
सुदूर वन प्रान्तर में सदा से उपेक्षित
दलित , पीड़ित , शोषित,
वनवासी समाज को
सम्मान और स्नेह देकर
मित्रवत अपनाते
जन - जन के नायक
वनवासी राम !
अपरिमित वैभव और अविजित शक्ति के
मद में आकंठ डूबी अविवेकी सत्ता को
अचूक शर - संधान से भूलुंठित कर
असत्य पर सत्य की विजय सिद्ध करते
परम पराक्रमी
धनुर्धारी राम !
समरसता और न्याय की
आधारशिला पर
स्वर्गतुल्य अनुपम ' रामराज्य ' के संस्थापक
संस्कृति , सिद्धान्तों के सजग संपोषक
सर्वकालिक पूजनीय, मर्यादा पुरुषोत्तम
रघुवंशी राम !
शत - शत प्रणाम !!!
1 comment:
बहुत सुन्दर शब्दों में व्यक्त रचना के लिए आभार!
Post a Comment