अपरिमित है तुम्हारा साम्राज्य
और विलक्षण प्रभामंडल ,
जीवन के अनन्य पर्याय -
हे आलोकपुंज सूर्य !
सात रंगों की अनिंद्य आभा को
समाविष्ट करता
अगणित इन्द्रधनुषों का उत्स है
तुम्हारा उज्ज्वल प्रकाश --
प्रकाश --जो कि उद्भासित करता है
समस्त जड़-चेतन को बिना भेद भाव
और करता है सुनिश्चित प्राणिमात्र का अस्तित्व
अपनी अनंत ऊष्मा और ऊर्जा के
चिरंतन प्रवाह से !
एकमात्र तुम ही तो हो
जो निष्फल कर सकते सहज ही
अवान्छित अतिवृष्टि के क्रूर आयोजन को
अपनी ज्वलन्त किरणों की अग्निवर्षा से
अहंकारी मेघों का अस्तित्व मिटाकर
अनायास ही नहीं प्राप्त तुमको
यह परम वन्दनीय देवत्व पद
क्योंकि स्वयं निराकार रहकर
इस तेजोमय स्वरुप में ढाला है तुम्हें
उस अदृश्य ,अनुपम रचयिता ने ,
और बनाया है अपना प्रतिनिधि
सार्वभौमिक कल्याण के निमित्त .
इसीलिए तो हो सर्वकालिक समादरित तुम
हे अथक कर्मयोगी
आलोकपुंज सूर्य!
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