Friday 28 April 2023

चिर-स्मरणीया माँ


     चिर - स्मरणीया माँ!

 तुम्हें याद करने के लिए मुझे,

किसी  विशेष दिन की नहीं अपेक्षा,

 स्मृति पटल पर अंकित  हो  तुम,

जीवन के एक अंग की तरह  ही,


 अविच्छिन्न रूप से सम्मिलित हो तुम 

 मेरे सम्पूर्ण अस्तित्व में, क्योंकि,

 महसूस करती हूँ तुम्हारा प्रभाव सदैव 

अपने हर विचार और व्यवहार में.


 कठिन परिस्थितियों में  भी जब सहज रहकर

   करती हूँ  प्रयास संघर्ष-रत  रहने  का 

  जाने -अनजाने तुम्हारे  पद चिन्होँ पर ही 

   मैं भी तो  निर्भय चल  रही होती हूँ.


 किसी का भी दुःख देख, सुन, कर  

 विचलित हो  उठता है जब मेरा मन ,

 तब,तुम्हारी सहज करुणा का उद्रेक ही तो,

  छलक आता  आँखों  में अश्रु  बनकर.


 कहीं भी क्रूरता और अन्याय के विरुद्ध,

  दृढ़ता से मुखरित होते मेरे स्वर,

  तुम्हारी ही न्याय प्रियता को तो, 

 प्रतिध्वनित  करते  हैं घनीभूत  होकर.

   

     कुछ शुभ घटित होने पर, अनायास ही,

    जुड़ जाते  हैं हाथ , उस परम-पिता के प्रति , 

     नत -मस्तक  हो आभार  प्रकट  करने में,

      तुम्हारा ही अनुसरण करती हूँ मैं,

                अविस्मरणीया माँ! 

                      



Wednesday 12 April 2023

April Showers

    "April showers  bring May flowers " true,

     But it's already  half -past March,

     And not a speck of clouds in the sky,

      Can it rain without them, ever?

    


     Yet, I hope they'll  flash on the horizon soon

     As big waterbags bursting into showers

     Giving all the plants and trees  their due

     Neglecting not even a blade of grass.


         An unyielding optimist  I am

        Like any of my simple village folk,

       Who are kind and strong in their faith,

       Loving Nature and God in any situation.


         My faith, too, is as unfaltering,

        Can neither be shaken nor shattered, 

       With questions or disheartening doubts,

       Prior to or post a life experience.

    


Monday 20 February 2023

जाग रही है रात


 सूरज  के  जाने के बाद

 उसके लौट कर आने तक

जागती रहती है रात.

घने अँधेरे में, अदृश्य रहकर  भी

बनाये  रखती अपनी स्वतंत्र अस्मिता 


छायी  रहती  गाँव, गली, कस्बे, शहर, महानगर

खेत, खलिहान,  कल -कारखानों ,  और अस्पतालों में 

  हिमशिखर, नदी, झील,समुद्र और महासागर,

   केसर  की क्यारियों और सूने मरुस्थलों  तक.


    जागती रहती  सदैव उन कर्मवीरों  का साथ देती

     डटे रहते जो निरंतर कर्तव्य -पथ  पर

     ताकि जन-जीवन चलता  रहे  अनवरत

     निर्बाध गति से बढ़ता रहे  कार्य - व्यापार


    रह सकें गतिमान बसें, रेलें और वायुयान

     अस्पतालों में उपलब्ध  हों इमरजेंसी सुविधायें

     जागते मिलें डाक्टर, नर्स और  वार्ड बॉय

     दुर्घटना पीड़ितों को मिल जाय तत्काल राहत.


    जागती रहती खेतोँ में, मचानों पर

    किसी हलकू और झबरा  की नींद  को भगाती

    हरी भरी  फसल को चट न कर जायें जिस से

    ताक में बैठे जंगली  जानवर


   और कहीं हमदर्द उन बेघरों  की बनकर

  जाग रहे ठिठुरते  जो शहर  के फुटपाथों पर

  अलाव की अस्थाई गर्मी के सहारे

   सुबह के सूरज  की बाट  जोहते


   नाइट वॉचमैन के साथ -साथ  चलती

  घूमता जो रहता  अकेले सड़कों  पर

 टॉर्च और डंडा लिये, सीटी  बजाकर 

  'जागते रहो ' की टेर लगाता


   सीमा पर सैनिकों के साथ खड़ी  रहती

    बर्फ़ीली चोटियों में दीवार बन कर

    सुनिश्चित करते जो देश  की सुरक्षा

   कभी कभी तो देकर प्राणों का दान भी.


   सोती नहीं पलभर  कभी, कहीं वह

 प्रतिकूल मौसम, परिस्थितियों में भी

  सजग रहती सदा सूरज के आने तक

  निष्ठावान प्रतिनिधि  की भूमिका  निभाती


  जागती रहती  है साँवली,सयानी रात

  जीवन - चक्र को गतिमान रखती 

  सूरज के जाने के बाद

  उसके लौट कर  आने तलक.

     

      

   

      



Sunday 13 November 2022

दीपावली



         बहुत दिनों  के बाद अवध के राम  लौट कर आये,

         बहुत दिनों के बाद अवध ने गीत शगुन के गाये.


         बहुत दिनों के बाद शंख -ध्वनि  गूँजी घर आँगन में,

          बहुत दिनों के बाद पुनः लौटा वसंत उपवन में.


        बहुत दिनों के बाद दुखों के बादल छँटने पाये,

         बहुत दिनों के बाद सुखों ने पग इस और बढ़ाये.


        बहुत दिनों के बाद कटे सब पाप- नाश के प्रेरे,

        बहुत दिनों के बाद मिटे आशंकाओं के घेरे.


       बहुत दिनों के बाद  अमावस लगी  पूर्णिमा जैसी,

        बहुत दिनों के बाद चांदनी ज्यों  कण-कण में सरसी.


      बहुत दिनों के बाद सत्य की विजय ध्वजा लहराई, 

      बहुत दिनों के बाद असुर-सत्ता की हुई विदाई.


     बहुत दिनों के बाद मिटे अंतर्मन के अँधियारे,

     बहुत दिनों के बाद अवध के दूर हुए दुःख सारे.


   बहुत दिनों के बाद राम से राजा  हमने पाए,

    इसीलिये तो घी के दीपक घर- घर  गए जलाये !






    

         

Wednesday 24 August 2022

गुलाब हूँ मैं ....

 जानता हूँ  छोटी सी है

 मेरी यह जीवन रेखा 

इसलिए नहीं पालता कोई बड़े सपने

लम्बी और निरापद ज़िन्दगी के 


सशंकित सा रहता हूँ  हर पल ,हर घड़ी 

न जाने कौन सा पल मेरे लिये अंतिम हो

समय तो  चलता रहता अपनी सहज गति से

 मुझ जैसे अकिंचन के रहने न रहने से उसे क्या ?


 कभी तो सुबह खिलने के साथ ही  

मंदिर को जाते किसी श्रद्धालु की

शुभ- दृष्टि  पड़ जाती जब  मुझ पर

तोड़ लिया जाता तुरुन्त देवता की खातिर

  


 कभी   स्कूल जाता मासूम सा बच्चा  कोई

देना चाहता मुझे अपनी '' फेवरिट टीचर'' को

 या कोई  शरारती  फेंक देता  यूँ ही  तोड़कर

 क्रूरता ही जैसे  मनोरंजन  हो उसके लिए


 कभी  अचानक तेज़ झोंका हवा का 

छिन्न-भिन्न कर देता मेरे अंग-प्रत्यंग को

 धूल और मिटटी में मुझे मिलाकर

 स्वयं को  विजयी समझ गर्व से चला जाता


  

 मन में किसी के लिए  चाहत छुपाये

कोई संकोची  युवा  चाहता मेरी मदद

स्वयं कुछ न कहकर भी , केवल संकेतों में

' उस'  तक पहुँचाने अपनी भावनाएं


दिन भर यदि इन सबसे बच पाया 

तब भी क्या चैन से रात  गुजरेगी ?

अँधेरा होते ही झेलना न पड़ेगा 

  बर्फ जैसे  तुषार कणों का  दंश भी?


यूँ  आशंकाओं  से घिरे होने पर  भी

करता रहता  प्रयास प्रसन्न  रहने  का

 फूल हूँ न, यही तो धर्म है मेरा

 रंग और सुगन्ध, बाँटता  रहूँ सबको , सदा !

   

   
















Thursday 16 June 2022

Author Bio


 AUTHOR BIO

Dr Indu Nautiyal, a teacher for over three decades, has been an avid reader and learner throughout. A keen observer of life and nature around, she expresses her sensitivity in various forms of creativity such as photography, poetry and story writing. Maintains a blog and is active on social media, Facebook, your quote and Instagram.

Published work

1 - Blooming Twigs-- An anthology of nature poems published by  writersgram.com

2 -   The Best Is Yet To Be  -- A  book of poems on life and nature by notionpress.com

3 - The Clouds And The Sun  -- A collection of short poems by Your Quote

4 -  The Joy Of Living     -------- Another anthology of short poems  published by    YourQuote. in

       Blog  -  Induja 

     Induja --  indudr.blogspot.co

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