Monday, 20 February 2023

जाग रही है रात


 सूरज  के  जाने के बाद

 उसके लौट कर आने तक

जागती रहती है रात.

घने अँधेरे में, अदृश्य रहकर  भी

बनाये  रखती अपनी स्वतंत्र अस्मिता 


छायी  रहती  गाँव, गली, कस्बे, शहर, महानगर

खेत, खलिहान,  कल -कारखानों ,  और अस्पतालों में 

  हिमशिखर, नदी, झील,समुद्र और महासागर,

   केसर  की क्यारियों और सूने मरुस्थलों  तक.


    जागती रहती  सदैव उन कर्मवीरों  का साथ देती

     डटे रहते जो निरंतर कर्तव्य -पथ  पर

     ताकि जन-जीवन चलता  रहे  अनवरत

     निर्बाध गति से बढ़ता रहे  कार्य - व्यापार


    रह सकें गतिमान बसें, रेलें और वायुयान

     अस्पतालों में उपलब्ध  हों इमरजेंसी सुविधायें

     जागते मिलें डाक्टर, नर्स और  वार्ड बॉय

     दुर्घटना पीड़ितों को मिल जाय तत्काल राहत.


    जागती रहती खेतोँ में, मचानों पर

    किसी हलकू और झबरा  की नींद  को भगाती

    हरी भरी  फसल को चट न कर जायें जिस से

    ताक में बैठे जंगली  जानवर


   और कहीं हमदर्द उन बेघरों  की बनकर

  जाग रहे ठिठुरते  जो शहर  के फुटपाथों पर

  अलाव की अस्थाई गर्मी के सहारे

   सुबह के सूरज  की बाट  जोहते


   नाइट वॉचमैन के साथ -साथ  चलती

  घूमता जो रहता  अकेले सड़कों  पर

 टॉर्च और डंडा लिये, सीटी  बजाकर 

  'जागते रहो ' की टेर लगाता


   सीमा पर सैनिकों के साथ खड़ी  रहती

    बर्फ़ीली चोटियों में दीवार बन कर

    सुनिश्चित करते जो देश  की सुरक्षा

   कभी कभी तो देकर प्राणों का दान भी.


   सोती नहीं पलभर  कभी, कहीं वह

 प्रतिकूल मौसम, परिस्थितियों में भी

  सजग रहती सदा सूरज के आने तक

  निष्ठावान प्रतिनिधि  की भूमिका  निभाती


  जागती रहती  है साँवली,सयानी रात

  जीवन - चक्र को गतिमान रखती 

  सूरज के जाने के बाद

  उसके लौट कर  आने तलक.

     

      

   

      



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