Saturday, 27 December 2025

धृतराष्ट्र की व्यथा

  दिव्य - दृष्टि - वरदान  प्राप्त तुम 

         वेदव्यास से हे संजय!

युद्ध - भूमि  की गतिविधि मुझको 

          बतलाते जाओ निर्भय.


  दुर्योधन  की हठधर्मी, उस पर --

          मेरी ममता की डोर 

 खींच ले गयी सारे कुल को --

          महाकाल के मुख की ओर 


   कुरुक्षेत्र  के धर्म -धाम  में 

       होगा अब भीषण संग्राम 

पाण्डु और मेरे पुत्रों का 

        क्या होगा संजय! परिणाम?


     युद्ध  नहीं  यह महाकाल का --

         होगा नृत्य भयंकर 

याद दिलाएंगे युग - युग तक 

           रक्तवर्ण माटी   प्रस्तर 


लिखने वाला है  क्रूर काल 

      कुरुकुल की करुण कहानी 

मिटने वाली है भव्य राष्ट्र की 

       गौरवमयी कहानी 


जो भी हो अब देख रहे जो --

    सब कुछ  मुझको बतलाओ 

बना लिया पत्थर है मन को 

      यथा घटित  कहते जाओ.


  ( गीतेतर -- क्षमा याचना सहित) 

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