Monday, 16 December 2019

इन दिनों....




     इन दिनों
 बहुत देर से आता है सूरज
 फिर भागता चला जाता है  क्षितिज की ओर
 लौटने की जल्दी  हो जैसे ,
और देखते ही देखते अचानक
 हो जाता है अंतरध्यान भी

इन दिनों
पहाड़ लपेट लेते हैं अपने आपको
बर्फ की सफ़ेद चादरों में
शायद यह उनका अपना  रक्षा कवच है
शीत के प्रहार से बचे रहने के लिए

इन दिनों
उड़ते चले आते हैं सुदूर हिम प्रदेशों से
 प्रवासी पक्षियों के  झुण्ड पर झुण्ड
 गर्म जलवायु की तलाश में
 जीवित रहने की आस लेकर

इन दिनों
शीत रक्तवाले जीव जन्तु
 गहन निद्रा  में चले जातेहैं धरती की कोख में
ताकि जीवित रख सकें  अपने आप को
 प्रतिकूल  परिस्थितियों में भी

इन दिनों
 धनी और  सम्पन्न लोग तो
 ढूँढ लेते हैं आनन्द के नए स्रोत
  मौसम के बदलते  रूप में  भी
  क्योंकि शीत के प्रकोप से बचने के
  सब  साधन सुलभ हैं उन्हें

 किन्तु अभावग्रस्त निर्धनों के लिये ,
किसी क्रूर आक्रान्ता से कम नहीं होते ये दिन
जो अनचाहे ही आ धमकते हैं
उनकी कठिन जिंदगी को
कुछ और अधिक कष्टप्रद बनाने !.

 


छाया चित्र , साभार
@ Dreamstime